Friday, March 5, 2010

मैं! nine years back!

मैं!
२००१
आरज़ू तमन्ना अरमान
इन शब्दों को है मेरा यह पैगाम -
"सामने कड़ी है हर मंजिल, हर तोहफे को है मेरा इंतज़ार"
ज़माने की मुझको फ़िक्र भी नहीं, हर उंचाई पे होगा मेरा नाम.
इस आगाज़ से होती है मेरी हर सुबह और शाम!

राहें कुछ चुन लीं है उन्ही पे चलना है!
अपने साथ न दें, पर खुद से वादा है मेरा
गैरों के साथ जीवन भर का रिश्ता नहीं करना है,
.हर मंजिल पानी है! आँखों का छुपाना पानी है!

इन लफ़्ज़ों से मेरी जिंदगानी बयां न होती,
इस लेखनी से मेरी कहानी बाया न होती!
सरस्वती, लक्ष्मी की आराधक हूँ,
शक्ति को अपनइ जानती हूँ
सामर्थ बहोत है और उसे बयान करना चाहती हूँ
किसी राह पे जाने से घबराती नहीं
बस कोई सहारा देदे , उसके सहारे कपो लौटाने का वादा करती हूँ

एक छोटी से किरण हूँ,
पर रौशनी करके आँखों ओ चौंधियाने की आशा रखती हूँ
कुछ करने की आशा रखती हूँ!

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